सरोजिनी नायडू जीवनी : राष्ट्रीय महिला दिवस पर भारत की कोकिला को याद करते हुए
सरोजिनी नायडू, जिन्हें भारत की कोकिला के रूप में भी जाना जाता है, एक भारतीय कवि और स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद, भारत में हुआ था। आज, उनकी जयंती पर, हम विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान का सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं।
क्यों जरूरी है यह खबर
सरोजिनी नायडू न केवल एक कवियित्री थीं, बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता भी थीं, जिन्होंने समाज की भलाई के लिए काम किया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्हें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी नियुक्त किया गया था। भारतीय साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान आज भी महिलाओं को प्रेरित करता है।
ऐतिहासिक संदर्भ
सरोजिनी नायडू का जन्म बुद्धिजीवियों के परिवार में हुआ था और उनके पिता एक वैज्ञानिक और दार्शनिक थे। वह होमस्कूल की गई थी और उसने उर्दू, अंग्रेजी, बंगाली और तेलुगु सहित विभिन्न भाषाएँ सीखीं। उन्होंने कम उम्र में कविता लिखना शुरू कर दिया था और उनके काम को आलोचनात्मक प्रशंसा मिली।
1905 में, सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं और स्वतंत्रता संग्राम की सक्रिय सदस्य बन गईं। उन्होंने असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया था लेकिन भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ना जारी रखा।
भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। वह भारत में इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला थीं। 2 मार्च, 1949 को लखनऊ, भारत में उनका निधन हो गया।
“सरोजिनी नायडू जयंती: राष्ट्रीय महिला दिवस पर भारत की कोकिला को याद करते हुए” से मुख्य परिणाम
क्रमिक संख्या | कुंजी ले जाएं |
1. | सरोजिनी नायडू एक भारतीय कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। |
2. | वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं। |
3. | सरोजिनी नायडू को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया, जो भारत में इस पद को धारण करने वाली पहली महिला बनीं। |
4. | उन्होंने असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। |
5. | भारतीय साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान आज भी महिलाओं को प्रेरित करता है। |
अंत में, सरोजिनी नायडू की जयंती विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान की याद दिलाती है। एक कवि और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती है, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनने वाली पहली भारतीय महिला के रूप में उनकी भूमिका उनके नेतृत्व और समाज की बेहतरी के प्रति समर्पण का एक वसीयतनामा है । हम न केवल सरोजिनी नायडू बल्कि उन सभी महिलाओं के सम्मान में राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं जिन्होंने समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस समाचार से छात्रों के लिए महत्वपूर्ण अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कौन थीं सरोजिनी नायडू?
सरोजिनी नायडू एक भारतीय कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्हें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी नियुक्त किया गया था।
हम उनकी जयंती पर राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाते हैं?
हम विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान का सम्मान करने और लैंगिक समानता के महत्व को पहचानने के लिए उनकी जयंती पर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं।
सरोजिनी नायडू का भारतीय साहित्य में क्या योगदान था?
सरोजिनी नायडू एक विपुल कवयित्री थीं जिन्होंने कई कविता संग्रह लिखे। उनके काम को आलोचनात्मक प्रशंसा मिली और वह अपनी गीतात्मक गुणवत्ता और सामाजिक टिप्पणी के लिए जानी जाती थी।
सरोजिनी नायडू ने किन आंदोलनों में भाग लिया था?
स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष के हिस्से के रूप में सरोजिनी नायडू ने असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह सहित विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया।
सरोजिनी नायडू का निधन कब हुआ था?
सरोजिनी नायडू का निधन 2 मार्च, 1949 को लखनऊ, भारत में हुआ था।