“विदेश मंत्री जयशंकर को ‘इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स’ पुस्तक प्राप्त हुई”
नई दिल्ली: विदेश मंत्री (ईएएम) डॉ . एस. जयशंकर को मंगलवार को “इंडियाज न्यूक्लियर टाइटन्स” नामक पुस्तक भेंट की गई। लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बराड़ ( सेवानिवृत्त ) द्वारा लिखित, यह पुस्तक उन भारतीय वैज्ञानिकों के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालती है जिन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उत्कृष्टता की मान्यता: विदेश मंत्रालय में आयोजित एक समारोह में डॉ. जयशंकर ने आभार के साथ पुस्तक स्वीकार की। उन्होंने इन प्रख्यात वैज्ञानिकों की कहानियों को बारीकी से दर्ज करने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बरार ( सेवानिवृत्त ) के प्रयासों की सराहना की।
भारत की परमाणु विरासत का जश्न: “भारत के परमाणु टाइटन्स” डॉ. जैसे व्यक्तियों की यात्रा पर प्रकाश डालते हैं। होमी जे. भाभा , डॉ. राजा रमन्ना , और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सहित अन्य, जिन्होंने भारत को परमाणु शक्तियों की लीग में आगे बढ़ाया। उनका अभूतपूर्व अनुसंधान और दृढ़ समर्पण भारत की रणनीतिक क्षमताओं को आकार देने में सहायक रहा है।
भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा: यह पुस्तक देश के परमाणु एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कठिन चुनौतियों पर काबू पाने में भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा और दृढ़ता के प्रमाण के रूप में कार्य करती है। इसका उद्देश्य उभरते वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करना है।
भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि: डॉ. को “भारत के परमाणु टाइटन्स” की प्रस्तुति। जयशंकर ने परमाणु अप्रसार और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। यह सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी का उपयोग जारी रखने के देश के संकल्प पर प्रकाश डालता है।
आगे की ओर देखना: जैसे-जैसे भारत अधिक तकनीकी कौशल की ओर बढ़ रहा है, देश के परमाणु कार्यक्रम की नींव रखने वाले दूरदर्शी लोगों की विरासत का सम्मान करना अनिवार्य है। “भारत के परमाणु टाइटन्स” उनके अमिट योगदान और राष्ट्रीय प्रगति के लिए वैज्ञानिक प्रतिभा के पोषण के महत्व की याद दिलाते हैं।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है:
वैज्ञानिक योगदान को मान्यता: विदेश मंत्री डॉ . एस. जयशंकर को “इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स” पुस्तक की प्रस्तुति देश के परमाणु कार्यक्रम को आकार देने में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान को स्वीकार करने के महत्व को रेखांकित करती है।
ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण: डॉ. जैसे दिग्गजों के जीवन और उपलब्धियों को लिपिबद्ध करके। होमी जे. भाभा और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुस्तक भारत के परमाणु प्रयासों की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करती है , जो भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करती है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
भारतीय परमाणु कार्यक्रम के अग्रदूत: परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की यात्रा 1948 में डॉ. के नेतृत्व में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना से शुरू होती है। होमी जे. भाभा . डॉ। भाभा के दृष्टिकोण ने भारत के महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम के लिए आधार तैयार किया।
पोखरण परीक्षण और उससे आगे: 1974 में भारत का पहला सफल परमाणु परीक्षण, जिसका कोडनेम “स्माइलिंग बुद्धा” था, उसकी परमाणु यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। 1998 में पोखरण -द्वितीय परीक्षणों सहित बाद की प्रगति ने भारत को परमाणु शक्तियों की लीग में शामिल कर दिया।
“इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स” से मुख्य निष्कर्ष:
क्रम संख्या | कुंजी ले जाएं |
1. | “इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स” उन प्रख्यात वैज्ञानिकों के जीवन का विवरण देता है जिन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम को आकार दिया। |
2. | डॉ. जैसे दूरदर्शी लोगों के योगदान पर प्रकाश डालती है। होमी जे. भाभा और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम । |
3. | यह परमाणु अप्रसार और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। |
4. | “इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स” का उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों को परमाणु प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करना है। |
5. | पुस्तक की प्रस्तुति अपने परमाणु अग्रदूतों की विरासत का सम्मान करने के भारत के संकल्प की पुष्टि करती है। |
इस समाचार से छात्रों के लिए महत्वपूर्ण अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. “इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स” पुस्तक किसने लिखी है?
- उत्तर: लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बराड़ ( सेवानिवृत्त )
2. “इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स” पुस्तक का क्या महत्व है?
- उत्तर: यह पुस्तक देश के परमाणु कार्यक्रम में भारतीय वैज्ञानिकों के जीवन और योगदान का वर्णन करती है, जो भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करती है।
3. पुस्तक में भारत के परमाणु कार्यक्रम के किन प्रमुख आंकड़ों पर प्रकाश डाला गया है?
- उत्तर: डॉ. होमी जे. भाभा , डॉ. राजा रमन्ना , और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सहित अन्य।
4. परमाणु प्रौद्योगिकी पर भारत के रुख के संबंध में पुस्तक की प्रस्तुति क्या संदेश देती है?
- उत्तर: यह परमाणु अप्रसार और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
5. “इंडियाज़ न्यूक्लियर टाइटन्स” पुस्तक भारत की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने में कैसे योगदान देती है?
- उत्तर: प्रख्यात वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को लिपिबद्ध करके, यह परमाणु प्रौद्योगिकी में भारत के समृद्ध इतिहास को संरक्षित करता है और उसका जश्न मनाता है।