अमित शाह ने नई दिल्ली में 32वीं केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक की अध्यक्षता की
7 नवंबर, 2024 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में केंद्रीय हिंदी समिति की 32वीं बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है। 1976 में स्थापित केन्द्रीय हिंदी समिति यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि भारत सरकार के प्रशासनिक और आधिकारिक संचार में हिंदी का प्रभावी प्रयोग हो।
मुख्य चर्चाएँ और निर्णय
बैठक के दौरान अमित शाह ने राष्ट्रीय एकता और अखंडता में हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों सहित भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। सरकारी कामकाज, शैक्षणिक संस्थानों और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में हिंदी के उपयोग को मजबूत करने सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। समिति ने इस बात पर भी चर्चा की कि तकनीकी प्रगति और मीडिया चैनलों के माध्यम से हिंदी की पहुंच कैसे बढ़ाई जाए।
बैठक में चर्चा की गई प्रमुख पहलों में से एक डिजिटल स्पेस में हिंदी की उपस्थिति का विस्तार करना था। समिति ने ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म और डिजिटल दस्तावेजों में हिंदी के एकीकरण की समीक्षा की, जिससे यह भाषा आम जनता के लिए अधिक सुलभ हो सके।
बैठक में राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में हिंदी के महत्व को भी रेखांकित किया गया, खासकर भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में। अमित शाह ने जोर देकर कहा कि हिंदी को बढ़ावा देने में क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृतियों के प्रति संवेदनशीलता होनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह भाषा देश भर में बोली जाने वाली अन्य भाषाओं पर हावी न हो जाए।
यह समाचार महत्वपूर्ण क्यों है
केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक भारत में एकीकृत भाषाई ढांचे के लिए सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक होने के नाते हिंदी विविध भाषाई पृष्ठभूमि के लोगों के बीच संचार, समझ और सामंजस्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इस पहल में गृह मंत्री का नेतृत्व केंद्र सरकार की हिंदी को न केवल आधिकारिक डोमेन में बल्कि डिजिटल और शैक्षणिक क्षेत्रों में भी बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह क्षेत्रीय विविधता का सम्मान करते हुए राष्ट्रीय भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को भी दर्शाता है।
यह कदम व्यापक राष्ट्रीय भाषा नीतियों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंदी सरकारी गतिविधि के सभी क्षेत्रों में संचार का माध्यम बनी रहे, जिससे राष्ट्रीय एकता और एकीकरण को बढ़ावा मिले। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के बढ़ते प्रभाव के साथ, ई-गवर्नेंस सिस्टम में हिंदी का एकीकरण भी जनता के लिए अधिक पहुँच की दिशा में एक कदम है, खासकर ग्रामीण और गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में।
ऐतिहासिक संदर्भ
केंद्रीय हिंदी समिति की स्थापना 1976 में भारत भर के सरकारी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। समिति का प्राथमिक लक्ष्य आधिकारिक संचार में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करना है, यह सुनिश्चित करना है कि इसका उपयोग केंद्र सरकार के विभागों में प्रभावी रूप से किया जाए। पिछले कुछ वर्षों में, समिति ने हिंदी के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर प्रशासनिक कार्यों, आधिकारिक दस्तावेजों और कानूनी कार्यवाही में।
भारत में भाषा का सवाल देश की आज़ादी के बाद से ही चर्चा का विषय रहा है। जबकि हिंदी को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषाओं में से एक घोषित किया गया है, हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ मिली हैं, खासकर गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में। हालाँकि, केंद्रीय हिंदी समिति के प्रयास भाषाई विभाजन को पाटने और हिंदी को अधिक सुलभ और व्यापक रूप से इस्तेमाल करने योग्य बनाने में महत्वपूर्ण रहे हैं।
हिंदी को बढ़ावा देना सरकार के “एक राष्ट्र, एक भाषा” के व्यापक एजेंडे से भी जुड़ा है – एक अवधारणा जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करना है।
32वीं केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक की 5 मुख्य बातें
क्र.सं. | कुंजी ले जाएं |
1 | अमित शाह ने नई दिल्ली में केन्द्रीय हिंदी समिति की 32वीं बैठक की अध्यक्षता की। |
2 | बैठक में सरकारी एवं शिक्षा में हिन्दी के प्रयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया। |
3 | अधिक सुगमता के लिए ई-गवर्नेंस प्लेटफार्मों में हिंदी को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। |
4 | हिंदी को बढ़ावा देने का उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करते हुए राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है। |
5 | केंद्रीय हिंदी समिति 1976 से पूरे भारत में हिंदी को बढ़ावा देने में सहायक रही है। |
इस समाचार से छात्रों के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1: केन्द्रीय हिंदी समिति क्या है और इसकी 32वीं बैठक क्यों महत्वपूर्ण थी?
उत्तर 1: केंद्रीय हिंदी समिति 1976 में स्थापित एक निकाय है जिसका मुख्य उद्देश्य सरकारी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना है। 7 नवंबर, 2024 को अमित शाह की अध्यक्षता में हुई 32वीं बैठक में हिंदी की मौजूदगी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। आधिकारिक संचार, डिजिटल प्लेटफॉर्म और ई-गवर्नेंस प्रणालियों में राष्ट्रीय एकता और एकीकरण को बढ़ावा देना।
प्रश्न 2: अमित शाह के अनुसार राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में हिंदी की क्या भूमिका है?
उत्तर 2: अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी भारत के विविध भाषाई परिदृश्य में संचार के लिए एक आम भाषा के रूप में काम करके राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान करते हुए हिंदी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
प्रश्न 3: केन्द्रीय हिंदी समिति हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किस प्रकार करने की योजना बना रही है?
उत्तर 3: समिति ने ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म और डिजिटल दस्तावेजों में हिंदी को एकीकृत करने पर चर्चा की ताकि आम जनता, खासकर गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी को अधिक सुलभ बनाया जा सके। इस पहल का उद्देश्य डिजिटल युग में हिंदी के उपयोग को बढ़ाना है।
प्रश्न 4: सरकारी कार्यालयों में हिंदी का प्रयोग महत्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर 4: सरकारी कार्यालयों में हिंदी का उपयोग केंद्र सरकार में प्रभावी संचार सुनिश्चित करता है, प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करता है और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। यह राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत करता है, क्योंकि हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।
प्रश्न 5: केन्द्रीय हिन्दी समिति हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु कब से कार्य कर रही है?
उत्तर 5: केन्द्रीय हिंदी समिति 1976 में अपनी स्थापना के बाद से ही हिंदी को बढ़ावा देने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है। इसने सरकारी संस्थाओं में आधिकारिक संचार और दस्तावेज़ीकरण में हिंदी को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।