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 शहीद उधम सिंह के Interesting Facts

शहीद उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899, को पंजाब प्रांत के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में एक सिख परिवार में हुआ था।

उनका असली नाम शेर सिंह था। उनके एक बड़े भाई थे, जिनका नाम मुख्ता सिंह था। सात साल की उम्र में ही उधम सिंह अनाथ हो गए और इसके बाद दोनों भाइयों को अनाथालय में रहना पड़ा था।

आजादी की लड़ाई में उधम सिंह गदर पार्टी की ओर से लड़े, जिसके लिए उन्हें पांच साल की सजा भी सुनाई गई। लाहौर जिले में उधम सिंह की मुलाकात भगत सिंह से हुई। उधम सिंह, भगत सिंह को अपना गुरू मानते थे।

जलियांवाला बाग कांड उधम सिंह की आंखों के सामने हुआ था। उन्होंने जनरल डायर की सभी करतूतों को अपनी आंखों से देखा था। यहीं पर उधम सिंह ने जलियांवाला बाग की मिट्टी को हाथ में लेकर प्रतिज्ञा ली कि वो जनरल डायर और तत्कालीन पंजाब के गवर्नर माइकल ओ’ ड्वायर को सबक सिखाएंगे।

जेल से छूटने के बाद उधम सिंह नाम बदलकर और पासपोर्ट बनाकर विदेश चले गए। 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के  कैक्स्टन हॉल में बैठक चल रही थी और इस बैठक में माइकल ओ’ ड्वायर भी वक्ता के तौर पर आए थे। इसी बैठक में सरदार उधम सिंह भी जा पहुंचे।

सरदार उधम सिंह ने एक किताब के पन्नों को अपनी रिवॉल्वर के आकार जितना काट दिया और उसमें अपनी बंदूक छिपा कर अंदर दाखिल हुए। बैठक के बाद उधम सिंह ने माइकल ओ’ ड्वायर को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी और अपना बदला पूरा किया।

माइकल ओ डायर का सीना छलनी करने के बाद उधम सिंह के सीने में 21 साल से धधकती ज्वाला शांत हो चुकी थी। उधम सिंह के इस हमले को देखकर हर कोई सन्न रह गया था। इसी घटना के बाद उधम सिंह को शहीद-ए-आजम की उपाधि दी गई।

वहां उधम सिंह गिरफ्तार हो गए। 4 जून 1940 को उधम सिंह को दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। इस कार्य को लेकर उधम सिंह की हर जगह तारीफ हुई, यहां तक पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी उधम सिंह की तारीफ की थी। 1974 में ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को लौटा दिए।

इतिहासकार मालती मलिक के अनुसार उधमसिंह देश में सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे और इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर 'राम मोहम्मद सिंह आजाद' रख लिया था जो भारत के तीन प्रमुख धर्मों का प्रतीक है। {राम-हिंदू, मोहम्मद-मुस्लिम, सिंह-सिख}

देश की आजादी में उधम सिंह क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा बन गए और इतिहास में उनका नाम अमर हो गया।

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