जैसलमेर के इस जगह को पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद इस वजह से किया जाता है, क्योंकि यहां पर राजस्थानी डांस, राजस्थानी भोजन, कैमल सफारी और जीप सफारी इन सभी चीजों को एकसाथ एंजॉय किया जा सकता है।
पटवों की हवेली पाँच हवेलियों से मिलकर बनी है जो इसके परिसर के भीतर है और यह जैसलमेर शहर में अपनी तरह की सबसे बड़ी हवेली है।वर्ष 1805 में पहली हवेली का निर्माण गुमान चंद पटवा द्वारा किया गया था, जो एक प्रसिद्ध आभूषण और ब्रोकेस व्यापारी थे।
सोनारगढ़ दुर्ग का निर्माण 1155 ई. में रावल जैसल भाटी ने करवाया था ! जैसल के पुत्र और उत्तराधिकारी शालिवाहन द्वितीय के द्वारा जैसलमेर दुर्ग का सम्पूर्ण निर्माण पूर्ण करवाया गया ! इसकी ऊंचाई 250 फीट है! इस दुर्ग के चारों ओर विशाल मरुस्थल फैला हुआ है !
बड़ा बाग जैसलमेर जिले में स्थित काफी प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। बड़ा बाग प्राचीन समय से ही राजा, महाराजा और रानी-महारानियों के लिए एक शमशान घाट रहा है, जहां पर उनको जलाने के बाद उस जगह पर छतरियों का निर्माण करवाया गया है।
गड़ीसर झील का निर्माण तत्कालीन शासक राजा रावल जैसल ने लगभग 12 वीं -13 वीं ईस्वी में जलाशय के रूप में करवाया था। बताया जाता है कि झील को क्षेत्र की शुष्कता के लिए बनवाया गया था। भूमि की एक विशिष्ट ढाल के कारण यह झील स्वचालित रूप से बहती है।
ऐसा माना जाता है कि 1459 ई में इस स्थान पर बाबा रामदेवजी ने समाधि थी। जिसके बाद बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने यहां समाधि के चारों ओर मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर राजस्थान के लोक देवता बाबा रामदेवजी को समर्पित है जिसे बेहद पवित्र माना जाता है। यह मंदिर जोधपुर – जैसलमेर मार्ग पर पोखरण से 12 किलोमीटर दूर स्थित है।
जैसलमेर और लौद्रवा के बीच अमरसागर एक रमणिक स्थान है। अमरसागर मंदिर, तालाब तथा उद्यान का निर्माण महारावल अमरसिंह द्वारा विक्रम संवत् 1721 से 1751 के बीच किया गया था। यहाँ आदिश्वर भगवान के तीन जैन मंदिर है।
तनोट माँ (तन्नोट माँ) का मन्दिर जैसलमेर जिले से लगभग एक सौ तीस कि॰मी॰ की दूरी पर 'तनोट' नामक गाँव में स्थित हैं। माना गया है कि भारत और पाकिस्तान के मध्य जो सितम्बर 1965 को लड़ाई हुई थी , उसमें पाकिस्तान के सैनिकों ने मंदिर पर कई बम गिराए थे लेकिन माँ की कृपा से एक भी बम नहीं फट सका था। तभी से सीमा सुरक्षा बल के जवान इस मन्दिर के प्रति काफी श्रद्धा भाव रखते हैं।
देश की सबसे लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा राजस्थान के पश्चिमी जिले जैसलमेर से लगती है। देश की सर्वाधिक लंबी 471 किलोमीटर की सीमा जैसलमेर की है।
जैसलमेर के सैन्य स्टेशन में स्थापित 'जैसलमेर युद्ध संग्रहालय', राजस्थान का 24 अगस्त 2015 को उद्घाटन किया गया.