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जिम कॉर्बेट के जीवन के Interesting Facts

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जिम कॉर्बेट जन्म 25 जुलाई 1875 को कुमाऊं मंडल, उत्तराखंड,  भारत में हुआ।

जिम कॉर्बेट का असली नाम एडवर्ड जेम्स कोर्बेट था, लेकिन उन्होंने भारत में जंगली पशुओं के संरक्षण के प्रति अपने समर्पण के कारण अपना नाम बदलकर 'जिम' रखा।

प्रथम संरक्षक: जिम कॉर्बेट भारत के पहले प्रमुख वन्यजीव संरक्षण अधिकारी थे और उन्होंने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में बहुत सारे संशोधन किए थे।

जिम कॉर्बेट ने अपने शिकारी दिनों के बाद, अनेक बघीचों और जंगलों की स्थापना की, जो वन्यजीवों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक वास्तविकता के लिए महत्वपूर्ण थे। उन्होंने एक ऐसी बगीचा बनाई जिसे आज "कॉर्बेट नेशनल पार्क" के नाम से जाना जाता है।

लेखक और किताबें: जिम कॉर्बेट वन्यजीव और उनके संरक्षण पर कई पुस्तकें लिखते रहे। उनकी प्रसिद्ध किताबों में से कुछ हैं "Man-Eaters of Kumaon," "My India," "Jungle Lore," और "The Temple Tiger and More Man-Eaters of Kumaon"। उनकी लेखनी शैली बहुत सराहनीय है और उन्होंने वन्यजीवों के साथ अपने अनुभवों को विवरणीय ढंग से पेश किया है।

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विश्व स्तरीय पहचान: जिम कॉर्बेट को वन्यजीव संरक्षक के रूप में विश्व भर में पहचाना जाता है। उनके कौशल और साहसपूर्वक बघीचे में पशुओं के साथ निकट संवाद करने का उनका अनुभव विशेष है।

भारतीय सेना के साथ सहयोग: पहले विश्व युद्ध के समय, जिम कॉर्बेट ने भारतीय सेना के साथ सहयोग किया और जंगल में छिपे दुश्मन सैनिकों को खोजने में मदद की।

सौर ऊर्जा के पक्षधर: जिम कॉर्बेट एक प्राकृतिक ऊर्जा के पक्षधर थे और उन्होंने पानी के प्रचंड प्रयास किए ताकि वन्यजीवों के लिए एक शुद्ध, साफ, और नया ऊर्जा स्रोत विकसित किया जा सके। उन्होंने अपनी बगीचों में सौर ऊर्जा का उपयोग किया और वन्यजीव संरक्षण के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया।

भारतीय सरकार से सम्मानित: उनके योगदान को मान्यता देते हुए, जिम कॉर्बेट को भारतीय सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया।

कोरबेट टाइगर रिजर्व: जिम कॉर्बेट को श्रद्धांजलि में, भारत सरकार ने उनके नाम पर "कोरबेट टाइगर रिजर्व" की स्थापना की। यह रिजर्व भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है और वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण संरक्षण क्षेत्र है।

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