आर्टिलरी शाखा में महिला अधिकारी : सरकार ने आर्टिलरी में महिला अधिकारियों को शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी,भारतीय सेना में लैंगिक समानता की दिशा में एक कदम
भारत सरकार ने आर्टिलरी शाखा में महिला अधिकारियों को शामिल करने के भारतीय सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय 20 मार्च को लिया गया और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने 31 मार्च को लोकसभा को इसके बारे में सूचित किया।
इस कदम से सेना में महिलाओं के लिए लड़ाकू भूमिकाएं खुलेंगी, क्योंकि आर्टिलरी शाखा को लड़ाकू इकाई माना जाता है। यह भारतीय सेना के सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने और सभी लिंगों को समान अवसर प्रदान करने के प्रयासों का हिस्सा है।
प्रस्ताव इस साल की शुरुआत में रक्षा मंत्रालय को भेजा गया था और अब इसे हरी झंडी मिल गई है। यह फैसला भारतीय सेना में लैंगिक समानता और समावेशिता हासिल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
भारतीय सेना परंपरागत रूप से एक पुरुष-प्रभुत्व वाली संस्था रही है, जिसमें हाल के वर्षों तक महिलाएं केवल सहायक भूमिकाओं में सेवा करती थीं। 1992 में, भारतीय सेना ने चिकित्सा, कानूनी और शैक्षिक सेवाओं जैसे गैर-लड़ाकू भूमिकाओं में महिला अधिकारियों को शामिल करना शुरू किया। हालांकि, 2016 में ही महिलाओं को शॉर्ट-सर्विस कमीशन (एसएससी) के आधार पर लड़ाकू भूमिकाओं में सेवा करने की अनुमति दी गई थी।
फरवरी 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को सेना की गैर-लड़ाकू शाखाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया। सरकार ने फैसले की अपील की, लेकिन फरवरी 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को बरकरार रखा और सरकार को सेना की सभी शाखाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया।
“आर्टिलरी में महिला अधिकारियों को शामिल करने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी” से मुख्य परिणाम:
क्रमिक संख्या | कुंजी ले जाएं |
1. | भारत सरकार ने आर्टिलरी शाखा में महिला अधिकारियों को शामिल करने के भारतीय सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। |
2. | यह निर्णय 20 मार्च को लिया गया और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने 31 मार्च को लोकसभा को इसके बारे में सूचित किया। |
3. | इस कदम से सेना में महिलाओं के लिए लड़ाकू भूमिकाएं खुलेंगी, क्योंकि आर्टिलरी शाखा को लड़ाकू इकाई माना जाता है। |
4. | यह भारतीय सेना के सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने और सभी लिंगों को समान अवसर प्रदान करने के प्रयासों का हिस्सा है। |
5. | यह फैसला भारतीय सेना में लैंगिक समानता और समावेशिता हासिल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। |
इस समाचार से छात्रों के लिए महत्वपूर्ण अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: आर्टिलरी शाखा में महिला अधिकारियों को शामिल करने का भारतीय सेना का क्या प्रस्ताव है?
A: भारतीय सेना का प्रस्ताव महिला अधिकारियों को आर्टिलरी शाखा में सेवा देने की अनुमति देना है, जिसे एक लड़ाकू इकाई माना जाता है।
प्रश्नः आर्टिलरी शाखा में महिला अधिकारियों को शामिल करने का निर्णय कब लिया गया?
A: निर्णय 20 मार्च, 2023 को लिया गया था।
प्रश्न: तोपखाना शाखा में महिला अधिकारियों को शामिल करने के निर्णय का क्या महत्व है?
A: यह निर्णय भारतीय सेना में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह महिला अधिकारियों को लड़ाकू भूमिकाओं में सेवा करने के अधिक अवसर भी प्रदान करेगा।
प्रश्न: भारतीय सेना में पहली बार महिलाओं को लड़ाकू भूमिकाओं में सेवा करने की अनुमति कब दी गई थी?
ए: महिलाओं को पहली बार 2016 में शॉर्ट-सर्विस कमीशन (एसएससी) के आधार पर लड़ाकू भूमिकाओं में सेवा करने की अनुमति दी गई थी।
प्रश्नः भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर सर्वोच्च न्यायालय का क्या फैसला था?
A: फरवरी 2020 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को सी सहित सेना की सभी शाखाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया